
UP D.El.Ed. IInd Semester – तृतीय प्रश्न पत्र – विज्ञान
लघु उत्तरीय प्रश्नोत्तर
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3.1 पृथ्वी और आकाश
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● ‘सौर परिवार’ को समझाइए – (UPBTC 2016)
सौर परिवार को सौरमंडल भी कहा जाता है। सौर मंडल में सूर्य और वह खगोलीय पिंड सम्मलित हैं, जो इस मंडल में एक दूसरे से गुरुत्वाकर्षण बल द्वारा बंधे हैं। किसी तारे के इर्द गिर्द परिक्रमा करते हुई उन खगोलीय वस्तुओं के समूह को ग्रहीय मण्डल कहा जाता है जो अन्य तारे न हों, जैसे की ग्रह, बौने ग्रह, प्राकृतिक उपग्रह, क्षुद्रग्रह, उल्का, धूमकेतु और खगोलीय धूल। हमारे सूरज और उसके ग्रहीय मण्डल को मिलाकर हमारा सौर मण्डल बनता है।[ इन पिंडों में आठ ग्रह, उनके 172 ज्ञात उपग्रह, पाँच बौने ग्रह और अरबों छोटे पिंड शामिल हैं। सौरमंडल के आठ ग्रह निम्नलिखित हैं – बुध, शुक्र, पृथ्वी, मंगल, बृहस्पति, शनि, अरुण और वरुण
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3.2 मृदा तथा फसलें
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● फसल चक्र क्या है? (UPBTC 2016)
विभिन्न फसलों को किसी निश्चित क्षेत्र पर, एक निश्चित क्रम से, किसी निश्चित समय में बोने को फ़सल चक्र कहते हैं। इसका उद्देश्य पौधों के भोज्य तत्वों का सदुपयोग तथा भूमि की भौतिक, रासायनिक तथा जैविक दशाओं में संतुलन स्थापित करना है।
फसल चक्र से लाभ
फसल चक्र से मृदा उर्वरता बढ़ती है, भूमि में कार्बन-नाइट्रोजन के अनुपात में वृद्धि होती है।
भूमि की संरचना में सुधार होता है।
मृदा क्षरण की रोकथाम होती है।
फसलों का बिमारियों से बचाव होता है।
● कृषि यंत्र कल्टीवेटर एवं डिबलर के बारे में बताइए – (UPBTC 2016)
कल्टीवेटर एक कृषि उपकरण है जिसका उपयोग खेत की जुताई करने में किया जाता है। खेत में मिट्टी के ढेलों को तोड़ने में भी इसका उपयोग किया जाता है। इस मशीन का उपयोग खरपतवार को खेत से निकाल कर बुवाई करने के लिए भी किया जाता है। इसको ट्रैक्टर या मिनी ट्रैक्टर द्वारा संचालित किया जा सकता है। यह मशीन कई तरह से बनाई जाती है, जैसे स्प्रिंग टाइन कल्टीवेटर, कठोर टाइन कल्टीवेटर, कठोर टाइन फावड़ा, बार पॉइंट कल्टीवेटर आदि
डिबलर एक उन्नत हस्तचलित यंत्र है। इस यंत्र को किसान आसानी से हाथों में लेकर खेतों में जा सकते हैं। इस यंत्र में स्टील से बनी चोंच होती है, जो तैयार खेतों में हल्का दबाने पर मिट्टी में एक चौड़े छेद का निर्माण करती है। मशीन को थोड़ा और दबाने पर इसके बीज वाले बक्से से बीज निकलकर मिट्टी में गिर जाते हैं। बीज के गिरने के समय स्टील से बना चोंच फैल जाता है और मशीन के ऊपर उठाते ही बीज मिट्टी से ढक जाता है। बीज सह खाद डिबलर की विशेषता यह है कि एक ही बार में बीज के निकट ही मिट्टी में खाद भी बीज के समतुल्य गहराई पर डाल देता है। खाद का उपयोग सही तरीके से होने के कारण फसल की उत्पादकता में काफी वृद्धि होती है। डिबलर से एक श्रमिक एक दिन में फसल के अनुसार 0.5 से 2 एकड़ की बुआई कर सकता है। बीज सह खाद डिबलर से मक्का, मटर, राजमा, चना, अरहर, अरंडी, भिंडी एवं कपास की अधिक उपज प्राप्त की जा सकती है।
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3.3 कार्य एवं ऊर्जा
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● ऊर्जा रूपांतरण से क्या समझते हैं? यांत्रिक एवं विद्युत ऊर्जा के रूपांतरण को उदाहरण सहित समझाइए – (UPBTC 2016 II)
जब ऊर्जा किसी एक रूप से दूसरे रूप में परिवर्तित होती है तो उसे ‘उर्जा रूपान्तरण’ कहते हैं। यांत्रिक ऊर्जा से विद्युत ऊर्जा में रूपांतरण का उदाहरण है— डायनमो (जनित्र)। विद्युत मोटर द्वारा विद्युत ऊर्जा को यांत्रिक ऊर्जा में बदला जाता है।
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3.4 सरल मशीनें
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● दैनिक जीवन में घर्षण बल का क्या महत्व है? उदाहरण देते हुए समझाइए – (UPBTC 2016 II)
दैनिक जीवन में घर्षण बल का विशेष महत्व है-
— घर्षण द्वारा खुरदरी सतह पर हम बिना फैसले चल सकते हैं।
— पहिया और ब्रेक के मध्य लगे घर्षण बल से ही वाहन की गति नियंत्रित कर सकते हैं।
— माचिस की तीली माचिस की सतह पर घर्षण बल के कारण जलती है।
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3.5 जीवों की संरचना
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● पादप कोशिका तथा जंतु कोशिका में अंतर समझाइए –
पादप कोशिकाएं जंतु कोशिकाएं
— तारककाय और सेंट्रियोल्स अनुपस्थित रहता है तारककाय और सेंट्रियोल्स उपस्थित रहता है
— रिक्तिका बड़ी होती है रिक्तिका छोटी होती है
— कोशिका भित्ति उपस्थित रहती हैं कोशिका भित्ति अनुपस्थित होती है
— पादप कोशिका में लवक उपस्थित रहते हैं लवक यूग्लीना को छोड़कर अन्य जंतुओं में अनुपस्थित रहते हैं
— पादप कोशिका का आकार आयताकार होता है जंतु कोशिका का आकार वृत्ताकार होता है
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3.6 जीवन की क्रियाएं
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● जड़ों के मुख्य कार्य क्या हैं? मक्का, प्याज, सरसों तथा बैंगन में पाई जाने वाली जड़ों के नाम बताइए – (UPBTC 2016 )
पौधे का वह हिस्सा जो भूमि के अंदर छिपा हुआ होता है, जड़ या मूल कहलाता है। जड़ें मिट्टी के कणों को परस्पर बांधे रखती हैं और पौधे को भूमि पर स्थिर रखती हैं । ये पौधे के पोषण के लिए जरूरी खनिज-लवणों को भूमि से अवशोषित करके तनों के माध्यम से पहुंचाती हैं।
मक्का में झकड़ा जड़, प्याज में मुसला जड़, सरसों में मुसला जड़ तथा बैंगन में मुसला जड़ पाया जाता है।
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3.7 मानव जीवन के अंग एवं कार्य
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● मनुष्य में कितने प्रकार के दांत पाए जाते हैं? उनके नाम एवं कार्यों को संक्षेप में समझाइए- (UPBTC 2016 II)
(1) छेदक या कृंतक (incisor) – (काटने का दाँत)
यह दांत धारदार होते हैं और इनकी संख्या 4-4 होती है। यह भोजन को छोटे-छोटे टुकड़ों में बांट देते हैं।
(2) भेदक या रदनक (canine) – (फाड़ने के दाँत),
इन दाँतों की संख्या 2-2 होती है। यह दाँत छेदक दांतों की अपेक्षा लंबे एवं नुकीले होते हैं। यह दाँत भोजन को फाड़ने का काम करते हैं।
(3) अग्रचर्वणक (premolar) – (कुचलने के दाँत),
इन बातों के शरीर में केले होते हैं परंतु भेदक दाँतों की अपेक्षा यह कम निकले होते हैं। इनकी संख्या 4-4 होती है। इनका कार्य भोजन को कुचलना है।
(4) चर्वणक (molar) – (चबाने के दाँत)
यह दाँत मुख में पीछे की ओर होते हैं और आकार में चौकोर होते हैं। इनके सिरे तेज धारदार होते हैं। इनका मुख्य कार्य भोजन को चबाना होता है। यह दाँत अत्यंत सुदृढ़ होते हैं। इनकी कुल संख्या 6-6 होती है।
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3.8 भोजन, स्वास्थ्य एवं रोग
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● भोजन में कौन-कौन से पोषक तत्व पाए जाते हैं? प्रोटीन की कमी से कौन-कौन से रोग हो जाते हैं? (UPBTC 2016 II)
भोजन में मुख्य पोषक तत्व हैं – कार्बोहाइड्रेट, प्रोटीन, वसा, विटामिन तथा खनिज लवण। इसके अलावा हमारे भोजन में आहारी रेशे (रुक्षांश) और जल भी शामिल हैं।
कार्बोहाइड्रेट शरीर को मुक्ता ऊर्जा प्रदान करते हैं।
प्रोटीन की कमी से होने वाला रोग – क्वाशियोरकर और मेरेस्मस रोग
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3.9 तत्वों का वर्गीकरण
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● मेंडलीफ की आवर्त सारणी के दोष में ‘समस्थानिकओं का स्थान’ पर प्रकाश डालिए। (UPBTC 2015)
एक ही तत्व के समस्त समस्थानिक का परमाणु क्रमांक समान होता है अर्थात इनकी बाहरी कक्षा में इलेक्ट्रॉनों की संख्या समान होती है। अतः इन्हें एक ही स्थान पर रखा जाना उचित है।
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3.10 पास पड़ोस में होने वाले परिवर्तन
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● उदाहरण देते हुए स्पष्ट करें कि एक ही परिवर्तन विभिन्न परिस्थितियों में अनुकूल तथा प्रतिकूल हो सकता है – (UPBTC 2016)
तैयार करते समय वर्षा का होना अनुकूल परिवर्तन है, परंतु फसल पक जाने पर वर्षा का होना प्रतिकूल परिवर्तन है।
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3.11 अम्ल, क्षारक तथा लवण
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● अम्ल क्या है? अम्ल और छार की पारस्परिक क्रिया द्वारा लवण तथा पानी का बनना कौन सी क्रिया है? (UPBTC 2016)
अम्ल वे यौगिक पदार्थ हैं जिनमें 1 अथवा 1 से अधिक विस्थापनशील हाइड्रोजन परमाणु विद्यमान हो तथा जिन्हें अंशतः या पूर्णत: धातुओं तथा धातुओं के सदृश्य आचरण करने वाले मूलको द्वारा स्थापित करने पर लवण का निर्माण होता है, तो क्षारक या क्षार से अभिक्रिया कर लवण एवं जल बनाते हों, जिनके जलीय घोल नीले लिटमस को लाल करते हों तथा स्वाद में खट्टे हों।
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3.12 पर्यावरण प्रदूषण
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● पर्यावरण प्रदूषण किसे कहते हैं? पर्यावरण प्रदूषण के प्रमुख कारण लिखिए –
पर्यावरण में अनचाहे परिवर्तन को ही ‘पर्यावरणीय प्रदूषण’ कहते हैं।
अन्य शब्दों में पर्यावरण में अवांछनीय तत्वों के मिल जाने से उसमें अनेक परिवर्तन आ जाते हैं जिसे पर्यावरण प्रदूषण कहते हैं।
पर्यावरण प्रदूषण के प्रमुख कारण
— रासायनिक खाद एवं कीटनाशकों का प्रयोग
— यातायात
— जनसंख्या में वृद्धि
— औद्योगिकरण
— शहरीकरण
— युद्ध
— वन संपदा का विनाश
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